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'प्रगति' प्रगति के पथ पर चलकर, नवगति विधि अपनायेगी | पुण्य प्रभा सौ दिव्य दृष्टि दे, प्रज्ञा प्रबल बनायेगी ||
ज्ञान दिवाकर की किरणों से, जड़ता तिमिर नसायेगी | छात्र - शिक्षकों के जीवन में, प्रगति चेतना लायेगी ||

प्रबन्धक की लेखनी से...

समाज में स्थापित शैक्षिक संस्थाएं समाज को नई दिशा और सोच देने का कार्य करती हैं जिसके आधार पर समाज आगे बढ़ने की प्रेरणा लेते हुए प्रगति के पथ पर अग्रसर होकर नई ऊचाँईयों को प्राप्त करता हैं। शैक्षिक संस्थाओं से प्रेरणा तथा प्रगतिशील विचारों के मानक तैयार होते हैं वे इसके प्रबन्धन तथा संस्था में कार्यरत शिक्षकों / शिक्षकाओं द्वारा ही तैयार किये जाते हैं इसलिए हर संस्था के लिए आवश्यक है कि वे कुशल दिशा निर्देशन प्रदान करने के लिए कुशल व विद्वान शिक्षकों / शिक्षकाओं को योजन में रखें जिससे समाज तथा संस्था को नई दिशा मिले इसी सोंच के साथ हम लोगों द्वारा वर्तमान में विद्यालय के अध्ययन कार्य उच्च कोटि के शिक्षकों / शिक्षकाओं के माध्यम से आधुनिक संसाधनों के साथ अध्यापन का कार्य कराया जाता है। विद्यालय में आधुनिक रुप से स्थापित प्रयोगशालाएं तथा पुस्तकालय उपलब्ध हैं जिसके माध्यम से छात्र एवं छात्राओं को प्रेरणा तथा नये विषयों की जानकारी प्राप्त होती है।

मुझे आशा ही नहीं विश्वास है कि विद्यालय में प्रवेश प्राप्त करने वाले छात्र एवं छात्राओं का भविश्य उज्जवल होगा और वो नई ऊचाँईयों को प्राप्त करेंगे इसका मुख्य कारण विद्यालय की गुणात्मक शिक्षा एवं अनुशासन होगा।

शुभम सिंह

प्रबन्धक