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प्रधानाचार्य की कलम से...

यह परम सौभाग्य का विषय है कि परमेश्वर ने सृष्टि में अपनी सर्वश्रेष्ठ कृति-विद्यार्थियों की देखभाल, सींचने तथा संवारने का दायित्व हम शिक्षकों को दिया है | यह भी महत्वपूर्ण है कि सरकार और समाज को सशक्त भारत के निर्माण के लिए हमसे जो भी अपेक्षा है, हमें उस पर शत-प्रतिशत खरा उतरना होगा | देश के निर्माण में बच्चों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है | हमारा मूल उद्देश्य छात्रों के व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास करना है | छात्रों के इस योग्य बनाना, वह क्षमता उत्पन्न करना की छात्र / छात्राएं अपने भावी जीवन में समाज व देश में सक्रिय, रचनात्मक व प्रभावी भूमिका निभा सके | संपूर्ण शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य व्यक्तित्व के आदर्श की पूर्ण प्राप्ति है, यह आदर्श संतुलित एवं समग्र व्यक्तित्व है|

किसी भी कार्य को ठीक ढंग से संपन्न करने के लिए अनुशासन का होना अति - आवश्यक है और यह अनुशासन विद्यार्थियों में आत्मानुशासन को बढ़ावा दें, नैतिक एवं मानवीय मूल्यों के विकास के साथ-साथ चरित्र एवं सदगुणों का भी विकास किया जाना चाहिए | क्योंकि

वृत्तं मत्नेन संरक्षेत् वित्तमायाति भाति-च ।
अक्षीणो वित्ततः क्षीणो, वृत्त ह्तो हतः ॥


छात्रों का संपूर्ण ध्यान ज्ञानार्जन पर तथा असामाजिक तत्वों से दूर रहना चाहिए विद्यालय के नियमों तथा आदेशों का सहर्ष पालन करना चाहिए | छात्रों को स्वावलम्बी बनना चाहिए | लक्ष्य के प्रति दृढ़, तथा संपूर्ण प्रयाश करना चाहिए |

देश को सशक्त बनाने के लिए विद्यार्थियों को अपनी सभ्यता - संस्कृति का सम्मान तथा उसकी गरिमा को बनाए रखना चाहिए |

बड़े हर्ष एवं गौरव की अनुभूति हो रही है कि विद्यालय में विगत कई वर्षों से छात्र / छात्राएं साथ - साथ अध्ययन करते हुए निरन्तर विभिन्न क्षेत्रों में नये - नये कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं| विद्यालय की अनुशासन - व्यवस्था अत्युत्तम है और इसे बेहतर बनाने में माननीय प्रबन्ध महोदय का सहयोग सराहनीय एवं प्रशंसनीय है|

बेहतर शिक्षा, बेहतर शिक्षण और प्रयास तथा मंगल कामना के साथ

शिव कुमार यादव
प्रधानाचार्य